पागल बाबा मंदिर वृंदावन का इतिहास और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी!

pagal baba mandir vrindavan पागल बाबा मंदिर वृंदावन

Pagal baba mandir vrindavan: सफेद संगमरमर से बना पागल बाबा मंदिर वृंदावन के प्रवेश द्वार पर ही स्थित है। इसका निर्माण संत लीला नन्द ठाकुर (पागल बाबा) ने वर्ष 1969 में करवाया था। लीला नन्द जी महाराज कोलकाता हाइकोर्ट में एक न्यायाधीश थे। उन्होंने सेवावृत्ति के बाद का समय आध्यात्मिकता की तलाश में वृन्दावन में बिताया। वे पागल आदमी की तरह भटकते रहते थे इसलिए लोगों ने उनका नाम पागल बाबा रख दिया था।

पागल बाबा मंदिर वृंदावन का इतिहास

पागल बाबा मंदिर से जुड़ी एक प्रचलित कथा है। इस कथा के अनुसार एक गरीब ब्राह्मण था, जो दिनभर भगवान कृष्ण का नाम जपता रहता था। एक दिन वह एक साहूकार से पैसे लेने गया। साहूकार ने उससे जल्दी ही पैसे लौटाने का वादा लिया और पैसे दे दिए। ब्राह्मण हर महीने किस्त के हिसाब से साहूकार के पैसे लौटाने जाता था। आखिरी किस्त के कुछ ही दिन पहले साहूकार ने वसूली का पत्र उसके घर भेज दिया। पत्र देखकर ब्राह्मण परेशान हुआ और साहूकार से विनती करने लगा लेकिन वह नहीं माना। मामला कोर्ट में गया।

ब्राह्मण ने जज लीला नंद ठाकुर से अनुरोध करते हुए कहा कि एक किस्त के अलावा उसने साहूकार का सारा पैसा अदा कर दिया है। साहूकार झूठ बोल रहा है। यह सुनकर साहूकार क्रोधित हुआ और बोला जिसके सामने पैसे लौटाए हैं उसे अदालत में पेश किया जाए। यह सुनकर ब्राह्मण सोच में पड़ गया क्योंकि उसका कोई भी गवाह नहीं था।

ब्राह्मण को भगवान की याद आई और उसने गवाह के रूप में कृष्ण का नाम लिया। ब्राह्मण के कहने पर नोटिस बांके बिहारी मंदिर भेजा गया। पेशी की अगली तारीख पर एक बूढ़ा आदमी कोर्ट में आया और ब्राह्मण की तरफ से गवाही देते हुए बोला कि ब्राह्मण जब साहूकार को पैसे लौटाते थे तब मैं उनके साथ ही होता था। बूढ़े आदमी ने पैसे वापस करने की एक एक तारीख को मुहजुवानी बताया।

साहूकार के खाते में बूढ़े आदमी द्वारा बताई गई रकम की तारीख सही निकली। साहूकार ने राशि तो सही लिखी थी लेकिन नाम फर्जी लिखे थे। इसलिए जज ने ब्राह्मण को निर्दोष करार दिया। लेकिन जज आश्चर्यचकित था कि बूढ़ा आदमी इतनी तारीखें कैसे याद रख सकता है। जज ने ब्राह्मण से पूछा कि यह बूढ़ा आदमी कौन था तो ब्राह्मण ने बताया कि लोग उन्हें कृष्ण, कान्हा, श्याम आदि नामों से जानते हैं।

माना जाता है कि तब से जज इस्तीफा देकर कृष्ण की ढूढ़ने के लिए वृन्दावन आ गया और उन्हें ढूढ़ने के लिए जज पागल जैसा हो गया। जज लीला नन्द ठाकुर वृन्दावन में ‘पागल बाबा’ नाम से जाने जाते थे। फिर वर्ष 1969 में उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया।

पागल बाबा मंदिर वृंदावन में प्रवेश शुल्क व समय

पागल बाबा मंदिर में प्रवेश शुल्क निःशुल्क है और दर्शन करने का समय गर्मियों में 5:00am से 11:30am और 3:00pm से 9:00pm जबकि सर्दियों में 6:00am से 12:00pm और 3:30pm से 8:30pm तक है।

पागल बाबा मंदिर वृंदावन के दर्शन का सबसे अच्छा समय

पवित्र शहर मथुरा और वृन्दावन में गर्मियों में तापमान अधिक होता और जनवरी में सर्दी अधिक होती है। इसलिए पागल बाबा मंदिर के दर्शन करने के लिए सबसे अनुकूल समय अक्टूबर से दिसंबर और फरवरी से मार्च तक है। वर्ष के इन महीनों में तापमान मध्यम श्रेणी में रहता है जो भक्तों की यात्रा सुखद बनाता है।

पागल बाबा मंदिर वृंदावन कैसे पहुंचे?

पागल बाबा मंदिर वृंदावन के प्रवेश द्वार पर स्थित है, जो देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। मंदिर परिवहन के विभिन्न माध्यमों द्वारा पहुंचा जा सकता है, जो निम्नलिखित हैं:

वायु मार्ग: आगरा के हवाई अड्डा मंदिर से लगभग 75 किमी और दिल्ली में स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 150 किमी दूर है। हवाई अड्डे से बस, ट्रेन या निजी कैब करके भी पहुंच सकते हैं।

रेल मार्ग: मथुरा जंक्शन रेलवे स्टेशन (MTJ) मंदिर से 10 किमी दूर स्थित है, जो मथुरा को देश के लगभग सभी प्रमुख रेलवे स्टेशनों से जोड़ता है। स्टेशन से बाहर निकलते ही मंदिर पहुचने के लिए e-रिक्शा और ऑटो रिक्शा मिल जाते हैं।

सड़क मार्ग: पागल बाबा मंदिर से 8.5 किमी दूर मथुरा में उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन का बस स्टैंड है, जहां से उत्तर के अन्य शहरों, दिल्ली और पड़ोसी राज्यों से जुड़ा हुआ है। बस स्टैंड से मंदिर के लिए e-रिक्शा और ऑटो रिक्शा आसानी से मिल जाते हैं।

पागल बाबा मंदिर वृंदावन के पास अन्य आकर्षण

1. प्रेम मंदिर: प्रेम मंदिर से पागल बाबा मंदिर की दूरी 2 किलोमीटर है जो भक्तिवेदांता मार्ग पर भगवान कृष्ण और उनकी दिव्य पत्नी देवी राधा को समर्पित एक अत्यंत प्रतिष्ठित मंदिर है। मंदिर अपनी लुभावनी वास्तुकला, जटिल नक्काशी और भक्तिपूर्ण वातावरण के लिए प्रसिद्ध है।

2. बांके बिहारी मंदिर: पागल बाबा मंदिर से 3.5 किमी दूर स्थित बांके बिहारी मंदिर भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिकता का केंद्र है। यह भगवान कृष्ण के शाश्वत आकर्षण का जीवंत प्रमाण है, जो दूर दूर से भक्तों को प्यारे बांके बिहारी के दिव्य आकर्षण का अनुभव करने के लिए आकर्षित करता है। मंदिर में भगवान कृष्ण त्रिभंग मुद्रा में खड़े हैं जो तीन कोणों पर झुके हुए हैं।

वृंदावन में पागल बाबा मंदिर कहां स्थित है?

पागल बाबा मंदिर मथुरा के रास्ते पर वृंदावन के प्रवेश द्वार पर स्थित है। गूगल मैप पर लोकेशन देखने के लिए ‘view larger map’ पर क्लिक करें।

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